गणेश चतुर्थी पर्व मनाने का रहस्य, जाने क्यो मनाई जाती है गणेश चतुर्थी देखें पूरी जानकारी:- भगवान गणेश जी को समृद्धि और बुद्धि के देवता माना जाता है, गणेश जी हाथी के सिर वाले देवता है इनके जन्म का प्रतीक 10 दिवसीय त्योहार है, जो की भाद्रपद के चौथे दिन से शुरू होता है।
गणेश चतुर्थी के त्योहार पर गणेश जी की मूर्ति को घर में या बाहर तम्बू के ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया जाता है, गणेश जी की पुजा की शुरुआत प्राणप्रतिष्ठा से होती है, जो की मूर्ति में प्राण फूंकने की रस्म है, इसके बाद षोडशोपचार या श्रद्धांजलि अर्पित करने के 16 तरीके होते है, गणेश जी उपनिषद जैसे धार्मिक ग्रंथों से वैदिक भजनों के जाप के बीच , मूर्ति का लाल चंदन के लेप और पीले और लाल फूलों से अभिषेक किया जाता है, इसके साथ ही गणेश जी को नारियल, गुड़ और 21 मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2024
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक है, इस त्योहार पर देशभर मे भगवान गणेश जी की पुजा की जाती है, लेकिन महाराष्ट्र, गोवा जैसे राज्यों गणेश चतुर्थी के त्योहार पर अलग ही धूम नजर आती है।
Ganesh Chaturthi का त्योहार भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है, Ganesh Chaturthi के दिन गणेश जी को घर लाया जाता है और 10 दिनों तक गणेश जी की पुजा की जाती है, इसके बाद इसका विसर्जन कर दिया जाता है।
Ganesh Chaturthi का इतिहास
गणेश चतुर्थी की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी, गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है, मान्यता है की भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी।
गणेश चतुर्थी की शुरुआत करने के बाद मराठा साम्राज्य के बाकी पेशवा भी गणेश चतुर्थी महोत्सव मनाने लगे, गणेश चतुर्थी के दौरान मराठा पेशवा ब्राह्मणों को भोजन कराते थे और साथ ही दान पुण्य भी करते थे. पेशवाओं के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में हिंदुओं के सभी पर्वों पर रोक लगा दी लेकिन फिर भी बाल गंगाधर तिलक ने गणेश चतुर्थी के महोत्सव को दोबारा मनाने की शुरूआत की, इसके बाद 1892 में भाऊ साहब जावले द्वारा पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की गई थी।
विसर्जन की शुरुआत
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना की जाती है और 10 दिन बाद इनका विसर्जन किया जाता है, कुछ लोग यह भी जानना चाहते है की गणेश जी की इतनी श्रृद्धा से पुजा करने के बाद इन्हे विसर्जित क्यो किया जाता है, तो इसके पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा लिखी हुई है
पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणपति जी से महाभारत की रचना को क्रमबद्ध करने की प्रार्थना की थी, गणेश चतुर्थी के ही दिन व्यास जी श्लोक बोलते गए और गणेश जी उसे लिखते गए, गणेश जी ने 10 दिनों तक लगातार लेखन कार्य किया, जिससे गणेश जी पर धूल-मिट्टी की परते चढ़ गई थी, जिसे साफ करने के लिए गणेश जी ने 10 वें दिन चतुर्थी पर सरस्वती नदी में स्नान किया था तभी से गणेश जी को विधि-विधान से विसर्जित करने की परंपरा है।